जानिए महान योद्धा शिवाजी के बारे में

अपनी वीरता से शक्तिशाली मुगलों को घुटने टेकने पर मज़बूर करने वाले सम्राट छत्रपति शिवाजी न सिर्फ एक महान शासक थे बल्कि दयालु योद्धा भी थे. जानिए उनके बारे में वो अनछुए पहलु जो उनकी शान में चार-चांद लगाते हैं.

अपनी वीरता से शक्तिशाली मुगलों को घुटने टेकने पर मज़बूर करने वाले सम्राट छत्रपति शिवाजी न सिर्फ एक महान शासक थे बल्कि दयालु योद्धा भी थे. जानिए उनके बारे में वो अनछुए पहलु जो उनकी शान में चार-चांद लगाते हैं.
सेक्युलर राजा: 
शिवाजी एक सेक्युलर शासक थे और सभी धर्मों का समान रूप से सम्मान करते थे. शिवाजी जबरन धर्मांतरण के सख्त खिलाफ थे. उनकी सेना में मुस्लिम बड़े पद पर मौजूद थे. इब्राहिम खान और दौलत खान उनकी नौसेना के ख़ास पदों पर थे. सिद्दी इब्राहिम उनकी सेना के तोपखानों का प्रमुख था.
सैन्य रणनीतिकार:
शिवाजी ने अपने सैनिकों की तादाद को 2 हजार से बढ़ाकर 10 हजार किया था. भारतीय शासकों में वो पहले ऐसे थे जिसने नौसेना की अहमियत को समझा. उन्होंने सिंधुगढ़ और विजयदुर्ग में अपने नौसेना के किले तैयार किए. रत्नागिरी में उन्होंने अपने जहाजों को सही करने के लिए दुर्ग तैयार किया.
एक वीर योद्धा:
उनकी सेना पहली ऐसी थी जिसमें गुरिल्ला युद्ध का जमकर इस्तेमाल किया गया. ज़मीनी युद्ध में शिवाजी को महारात हासिल थी, जिसका फायदा उन्हें दुश्मनों से लड़ने में मिला. पेशेवर सेना तैयार करने वाले वो पहले शासक थे.
हिंदुत्व के पुरोधा:
वो एक धार्मिक हिंदू के साथ दूसरे धर्मों का भी सम्मान करते थे. वो संस्कृत और हिंदू राजनीतिक परंपराओं का विस्तार चाहते थे. उनकी अदालत में पारसी की जगह मराठी का इस्तेमाल किया जाने लगा. ब्रिटिश इतिहासकारों ने उन्हें लुटेरे की संज्ञा दी लेकिन दूसरे स्वाधीनता संग्राम में उनकी भूमिका को महान हिंदू शासक के तौर पर दिखाया गया.
मुगलों के दुश्मन:
शिवाजी ने 1657 तक मुगलों के साथ सौहार्दपूर्ण संबंध कायम रखे. यहां तक कि बीजापुर जीतने में शिवाजी ने औरंगज़ेब की मदद भी की लेकिन शर्त ये थी कि बीजापुर के गांव और किले मराठा साम्राज्य के तहत रहे. दोनों के बीच मार्च 1657 के बीच तल्खी शुरू हुई और दोनों के बीच ऐसी कई लड़ाईंयां हुईं जिनका कोई हल नहीं निकला.
एक दयालु शासक: 
शिवाजी ने भरोसा दिलाया कि वो दुश्मन सेना के सैनिकों के साथ बुरा व्यवहार नहीं करेंगे. संभव होगा तो अपनी सेना में उन्हें वही पद दिया जाएगा. पकड़ी गई किसी महिला को गुलाम की तरह नहीं रखा जाएगा. उन्हें इज़्ज़त के साथ अपने घर भेजा जाएगा.




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